श्री गोस्वामी तुलसीदास रचित रामायण के निम्न लिखित चोपाई को अगर कोई साधक या गृहस्थ उच्चारण
करता है तो उसको जीवन में आ रही छोटी छोटी परेशानी से जो किसी भी व्यक्ति को विचलित कर देती है
उनको आप आसानी से किनारे केर सकते है और सुखद जीवन यापन केर सकते है
A. मनचाही नौकरी या कारोबार की सफलता के लिए-
बिस्व भरण पोषन कर जोई।
ताकर नाम भरत जस होई।
B. धन-दौलत, सम्पत्ति पाने के लिए-
जे सकाम नर सुनहि जे गावहि।
सुख संपत्ति नाना विधि पावहि।।
C. दिमाग की कोई भी परेशानी दूर करने के लिए-
हनुमान अंगद रन गाजे।
हाँक सुनत रजनीचर भाजे।।
D. पढ़ाई या परीक्षा में कामयाबी के लिए-
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥
E. शादी के लिए-
तब जनक पाइ वशिष्ठ आयसु ब्याह साजि संवारि कै।
मांडवी श्रुतकीरति उर्मिला, कुँअरि लई हँकारि कै॥
F. पुत्र पाने के लिए-
प्रेम मगन कौसल्या निसिदिन जात न जान।
सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।
G. खोई वस्तु या व्यक्ति पाने के लिए-
गई बहोर गरीब नेवाजू।
सरल सबल साहिब रघुराजू।।
H. नजर उतारने के लिए-
स्याम गौर सुंदर दोउ जोरी।
निरखहिं छबि जननीं तृन तोरी।।
I. जहर उतारने के लिए-
नाम प्रभाउ जान सिव नीको।
कालकूट फलु दीन्ह अमी को।।
J. हनुमान जी की कृपा के लिए-
सुमिरि पवनसुत पावन नामू।
अपनें बस करि राखे रामू।।
K. सभी तरह के संकटनाश दूर करने के लिए-
प्रनवउँ पवन कुमार,खल बन पावक ग्यान घन।
जासु ह्रदयँ आगार, बसहिं राम सर चाप धर॥
L. किसी सफ़र पर निकलने से पहले या सफल व कुशल यात्रा के लिए-
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा।
ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥
M. अकाल मृत्यु भय दूर करने के लिए-
नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहि बाट।।
N. यज्ञोपवीत पहनने व उसकी पवित्रता के लिए-
जुगुति बेधि पुनि पोहिअहिं रामचरित बर ताग।
पहिरहिं सज्जन बिमल उर सोभा अति अनुराग।।
O. शत्रुता मिटाने के लिए-
बयरु न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप विषमता खोई॥
P. बीमारियां दूर करने के लिए-
दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज काहूहिं नहि ब्यापा॥